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भैरव बाबा के इस दरबार में ढांक बजाकर लगाते हैं अर्जी, 300 साल पुरानी परंपरा

बुंदेलखंड में अलग-अलग वाद्य यंत्रों से श्रद्धालु साधना करते नजर आते हैं, जिनमें तमूरा, तारे, झूला, रामतुला के साथ ढांक भी बजाई जाती है. ढांक बजाने की शुरुआत लाला हरदौल के जमाने से शुरू हुई मानी जाती है.

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