ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट, जिसे चमोली में आए सैलाब ने तबाह कर दिया

February 7, 2021 by | Published By: Ankitkhare

उत्तराखंड में चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने की वजह से बड़ा हादसा हो गया है। इस प्राकृतिक आपदा में 100-150 लोगों के मौत की आशंका है। अभी एनडीआरएफ, आईटीबीपी, थल सेना और वायु सेना का राहत एवं बचाव कार्य जारी है। इस हादसे में सबसे अधिक नुकसान ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को हुआ है और यहां काम करने वाले कई मजदूर लापता हैं।

क्या है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट?

उत्तराखंड के चमोली जिले में बिजली उत्पादन की एक परियोजना चल रही है, जिसका नाम ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट है। यह करीब 10 साल से अधिक से काम कर रही है। यह सरकारी नहीं बल्कि निजी क्षेत्र की परियोजना है। बता दें कि पहले भी इस प्रोजेक्ट का काफी विरोध हुआ और पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोगों ने इसे बंद कराने के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। हालांकि यह प्रोजेक्ट बंद नहीं हुआ।

ऋषि गंगा नदी पर चल रहा प्रोजेक्ट

ऋषि गंगा नदी पर यह प्रोजेक्ट चल रहा है। ऋषि गंगा नदी धौली गंगा में मिलती है। ग्लेशियर टूटने की वजह से इन दोनों नदियों में पानी का स्तर बढ़ गया है और बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट के जरिए 63520 एमडब्ल्यूएच बिजली बनाने का लक्ष्य है। हालांकि अभी कितना उत्पादन हो रहा है, इसकी आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। जब यह प्रोजेक्ट अपनी पूरी क्षमता पर काम करने लगेगा तो इससे बनने वाली बिजली को दिल्ली, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में सप्लाई करने की योजना है।


मैंने कहा था- नहीं बनने चाहिए प्रोजेक्ट

पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने इस हादसे के बाद कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने कहा, 'जोशीमठ से 24 किलोमीटर पैंग गांव, जिला चमोली, उत्तराखंड के ऊपर का ग्लेशियर फिसलने से ऋषि गंगा पर बना हुआ पावर प्रोजेक्ट जोर से टूटा और एक तबाही लेकर आगे बढ़ रहा है। मैं गंगा मैया से प्रार्थना करती हूं कि मां सबकी रक्षा करें तथा प्राणिमात्र की रक्षा करें।'

अपने अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा है, 'कल मै उत्तरकाशी में थी और आज हरिद्वार पहुंची हूं। हरिद्वार में भी अलर्ट जारी हो गया है। यानी तबाही हरिद्वार आ सकती है। यह हादसा जो हिमालय में ऋषि गंगा पर हुआ, यह चिंता एवं चेतावनी दोनो का विषय है। इस संबंध में जब मै मंत्री थी तब अपने मंत्रालय की तरफ से हिमालय उत्तराखंड के बांधों के बारे में जो ऐफिडेविट दिया गया था, उसमें यही आग्रह किया था कि हिमालय एक बहुत संवेदनशील स्थान है, इसलिए गंगा एवं उसकी मुख्य सहायक नदियों पर पावर प्रोजेक्ट नही बनने चाहिएं तथा इससे उत्तराखंड की जो 12 प्रतिशत की क्षति होती है, वह नेशनल ग्रीड से पूरी कर देनी चाहिए।'