मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदेश में कोराना की तीसरी लहर के मद्देनजर डॉक्टर्स की नियुक्ति जरूरी है. इस पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो मेरिट लिस्ट तो 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के हिसाब से बना सकती है लेकिन डॉक्टर्स की नियुक्ति में 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण ही दिया जा सकेगा.
हाई कोर्ट ने मामले पर याचिकाकर्ताओं सहित राज्य सरकार से लिखित में अपनी बहस के बिंदु पेश करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 10 अगस्त की तारीख तय कर दी है.
50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए आरक्षण
मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने कहा कि प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आर्थिक-सामाजिक स्थिति और उनकी बड़ी आबादी को देखते हुए ओबीसी आरक्षण बढ़ाना जरूरी है. हालांकि याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के मुताबिक किसी भी स्थिति में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता.
कमलनाथ सरकार में बढ़ा था आरक्षण का दायरा
कमलनाथ सरकार ने ओबीसी वर्ग का आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. बढ़े हुए आरक्षण के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं में कहा गया था कि आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए लेकिन 27 फीसदी आरक्षण के बाद इसका दायरा 63 फीसदी तक चला गया था.
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