आगर मालवा जिले में भैंस चोरी के इल्जाम का फैसला 'सिद्धार और हंस की कहानी' के आधार पर पंचों ने किया. पंचों की यह राय दोनों पक्षों को मंजूर थी. इस प्रयोग में दावा ठोंकने वाले व्यक्ति के पास भैंस नहीं गई और वफादारी निभाते हुए वास्तविक मालिक के पास पहुंच गई.

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