जबलपुर से सामने आए नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन रैकेट मामले में कई बड़े खुलासे हुए हैं. जहां एक तरफ जहां तीन दिन से डेरा जमाकर बैठी गुजरात पुलिस वापस लौट गई है, वहीं, दूसरी ओर जबलपुर पुलिस इस नेक्सस के मुख्य आरोपी गुजरात के कौशल वोरा और पुनीत शाह को भी आरोपी बनाएगी.
इस मामले में जबलपुर पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा ने बताया कि जबलपुर पुलिस कौशल वोरा और पुनीत शाह के साथ जबलपुर के सपन जैन का भी प्रोडक्शन वारंट लेने जा रही है. ऐसे में माना जा सकता है कि वारंट मिलने के बाद आरोपियों से कई बड़े खुलासे हो सकते हैं. SP के अनुसार शहर के अन्य लोग भी आरोपी बनाए जा सकते हैं.
200 मरीजों को लगे नकली इंजेक्शन
फिलहाल SP बहुगुणा के मुताबिक, प्राथमिक तौर पर पता चला है कि करीब 200 मरीजों को नक़ली इंजेक्शन लगाया गया. जांच में यह बात भी सामने आई है कि गुजरात के नक़ली रेमडेसिविर रैकेट से सिटी अस्पताल प्रबंधन के तार इंडिया मार्ट एप के जरिए जुड़े थे. इसके बाद गुजरात के सूरत से करीब 500 इंजेक्शन बुक किए गए थे.ऑनलाइन बुकिंग के जरिए मप्र पहुंचे थे 1200 इंजेक्शन
बता दें, इस ऑनलाइन नेटवर्क के जरिए 1200 इंजेक्शन मध्य प्रदेश पहुंचे थे. इनमें से 700 इंदौर और 500 जबलपुर में सप्लाई किए गए. पुलिस इस मामले की तह तक पहुंच चुकी है. SP का कहना है कि आने वाले दो दिनों में इस पूरे मामले का खुलासा कर दिया जाएगा. गौरतलब है कि जांच के दौरान सबसे महत्वपूर्ण सुराग बनने जा रहे नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कई बॉयल पुलिस ने जांच के दौरान कटनी, दमोह, नरसिंहपुर और गाडरवारा से जब्त किए हैं.
गैलेक्सी अस्पताल में कार्रवाई पर सवाल
बीते 23 अप्रैल को उखरी स्थित गैलेक्सी अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने के कारण 5 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में जिला प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने 2 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. लेकिन इस मामले में जो कार्रवाई की गई है उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. ऑक्सीजन के अभाव में हुई मौतों की जांच में पाया गया कि अस्पताल में काम करने वाले असिस्टेंट मैनेजर और ऑक्सीजन ऑपरेटर उस समय मौजूद नहीं थे.
जब यह हादसा हुआ जिला अस्पताल द्वारा गठित स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 5 लोगों की मौत के मामले में इन दोनों पर 304 ए 285 और 287 गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए हैं. पुलिस के अनुसार गैलेक्सी अस्पताल में ऑक्सीजन की अचानक कमी होने से 23 अप्रैल को 5 मरीजों ने दम तोड़ दिया था. इस मामले की जानकारी सामने आते ही पुलिस हरकत में आई और तत्काल अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडरो की व्यवस्था कराई जिससे अन्य मरीज जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे उनकी जान बच सकी.
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