जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर का सिटी अस्पताल कोरोना मरीजों के लिए मौत का कुआं साबित हुआ. इस मामले में भले ही अस्पताल का लाइसेंस रद्द हो गया हो, भले ही संचालक सरबजीत सिंह मोखा गिरफ्तार हो गया हो, लेकिन इन सब के बावजूद अपनों को खोने की पूर्ति नहीं की जा सकती. इन दिनों शहर के थानों पर नकली इंजेक्शन की शिकायत करने वाले बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. ऐसे ही मामले में एक पिता ने जब आपबीती सुनाई तो पुलिस भी सोच में पड़ गई.
नकली रेमडिसिवर इंजेक्शन के एक शिकार हैं टेकचंद वीरानी. इन्होंने अपने 35 साल के बेटे जगदीश को खो दिया. ओमती थाने पहुंचे पिता ने पुलिस को बताया कि उनका बेटा जगदीश बिजनेसमैन था. 21 अप्रैल को उन्होंने जगदीश को सिटी अस्पताल में भर्ती कराया. यहां उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई. पिता ने बताया कि इसके बाद जगदीश से फोन पर बातचीत होती रही. उसका इलाज भी चलता रहा.
अस्पताल से केवल आश्वासन मिलता रहा- पीड़ित
टेकचंद ने पुलिस को बताया कि जब भी डॉक्टर या अस्पताल प्रबंधन से जगदीश के इलाज के संबंध में पूछा जाता तो वे उन्हें यह आश्वासन देकर टाल देते थे कि उनका बेटा जल्दी ठीक हो जाएगा. इलाज के दौरान उसे 9 रेमडिसिवर इंजेक्शन लगाए गए और 9 मई को जगदीश की मौत हो गई. उन्होंने बताया कि 7 मई को जब गुजरात पुलिस जबलपुर आई तो उस समय वे अस्पताल में ही थे. उनकी आंखों के सामने अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ था.डॉक्टर रातभर दवाएं बाहर भिजवाती रही
टेकचंद के मुताबिक, अस्पताल में डॉक्टर सोनिया खत्री दवाईयों को कार्टून में भर-भरकर अस्पताल से बाहर भिजवा रही थीं. रातभर यह भागदौड़ चलती रही. इसके दूसरे दिन उन्हें पता चला कि अस्पताल में नकली रेमडिसिवर इंजेक्शन लगाए गए थे. उन्होंने अस्पताल के डॉक्टर्स पर आरोप लगाया कि उनके बेटे को भी उन्होंने नकली रेमडिसिवर इंजेक्शन लगाए थे.
इकलौता बेटा था जगदीश
इस बीच, जब पीड़ित पिता से पूछा गया कि उनके परिवार में और कौन-कौन है, तो उनकी आंखें दर्द से छलक उठीं. उन्होंने बताया कि जगदीश इकलौता बेटा था. उसकी शादी हो चुकी थी और उसकी 6 साल की बेटी है. बेटी अब अनाथ हो चुकी है. जगदीश की एक बहन भी है. पिता ने बताया कि उन्होंने जगदीश के इलाज के लिए अस्पताल को 6 लाख 65 हजार रूपए का बिल भुगतान किया है. पुलिस थाने में FIR दर्ज करवाते हुए पीड़ित ने मांग की है कि उनके बेटे के इलाज की जांच बारीकी से की जाए.
जवाब को टाल रही पुलिस
वहीं, इस मामले को लेकर पुलिस अधिकारियों ने जवाब टालने की कोशिश की. पुलिसवालों ने कहा कि अभी 6-7 शिकायतें आई हैं, जिनकी जांच की जा रही है. इस पूरे मामले में जबलपुर पुलिस सिर्फ जांच की ही बातें कह रही है लेकिन जांच में क्या तथ्य सामने आए हैं इसका खुलासा करने से कतरा रही है.
from Latest News मध्य प्रदेश News हिंदी https://ift.tt/3vWXWwa
from Latest News मध्य प्रदेश News हिंदी https://ift.tt/3vWXWwa
0 टिप्पणियाँ
Thanks, stay with us