मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में 'ब्लैक फंगस' यानी म्यूकरमाइकोसिस के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर कोविड रोगियों की नेजल एंडोस्कोपी का अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इस अभियान का प्राथमिक उद्देश्य ब्लैक फंगस बीमारी को प्राथमिक स्तर पर पहचान कर रोकथाम करना एवं त्वरित उपचार उपलब्ध कराना है। मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने सारंग का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए कोविड मरीजों की नेजल एंडोस्कोपी का अभियान प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है, ताकि ब्लैक फंगस बीमारी की प्राथमिक स्तर पर पहचान कर रोकथाम एवं त्वरित उपचार किया जा सके।
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उन्होंने कहा कि इस अभियान के अंतर्गत, अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों की निःशुल्क नेजल एंडोस्कोपी की जा सकेगी। नेजल एंडोस्कोपी एक प्रक्रिया है जिससे एंडोस्कोप के जरिए नाक के अंदर की जांच की जाती है और पता लगाया जाता है कि साइनस मार्ग रूका हुआ तो नहीं है।
सारंग ने बताया कि कोविड-19 का इलाज करवा रहे या ठीक हुए व्यक्तियों में दुर्लभ 'ब्लैक फंगस संक्रमण पाया जा रहा है और मध्य प्रदेश में अब तक इसके 573 मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पतालों में उपचाराधीन रोगियों और संक्रमण से उबर चुके लोगों के लिए निःशुल्क नेज़ल एंडोस्कोपी की सुविधा प्रारंभ की जा रही है।
सारंग ने बताया कि इस अभियान के मद्देनजर मेडिकल कॉलेज में एंडोस्कोपी जांच के लिए आवश्यक उपकरण की संख्या बढाई जाएगी। उन्होंने कहा कि कान, नाक, एवं गला के विशेषज्ञ की सोसाइटी ने भी प्राइवेट अस्पतालों एवं क्लीनिक में पोस्ट कोविड के मरीजों की एंडोस्कोपी जांच के लिए अगले 15 दिन का निःशुल्क अभियान चलाए जाने की सहमति दी है। इस अभियान को मूर्त रूप देने और सफल बनाने के लिये निजी चिकित्सा संस्थानों के वास्ते प्रत्येक शहर में एक समन्वयक भी नियुक्त किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस के इलाज के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रदेश के पाँच मेडिकल कॉलेजों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर तथा रीवा में इसका नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था की गई है। ब्लैक फंगस के उपचार के लिये कार्यबल का गठन भी किया गया है।
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